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23 October 2024

महासमुंद के खट्टी गांव से कोसा जुगाड़ किया, कालेज कैैंपस से सींकें, बना ली ब्रश

 

कुंजराम रात्रे 

महासमुंद 20जुलाई। राजस्थान जयपुर स्थित विवेकानंद ग्लोबल युनिवर्सिटी वीआईटी में अध्ययनरत महासमुंद की मृणाल विदानी द्वारा निर्मित फिंगरप्रिंट ब्रश को भारत सरकार की ओर से कापीराइट का अधिकार मिल गया है।

इस ब्रश को मृणाल ने महासमुंद के गांव खट्टी के पेड़ों में से एकत्र कोसे के रेसे से तैयार किया है। कल देर रात भारत सरकार के आधिकारिक वेबसाइट और कालेज प्रबंधन ने मृणाल को ईमेल के जरिए इसकी जानकारी दी। मृणाल को उनकी इस उपलब्धि पर विवेकानंद ग्लोबल युनिवसिटी जयपुर के डीन, समस्त प्राफेसरों, कालेज स्टाफ के अलावा सांसद महासमुंद चुन्नी लाल साहू, विधायक विनोद सेवनलाल चंद्राकर, नपाध्यक्ष राशि त्रिभुवन महिलांग ने बधाई दी है।

मृणाल विदानी छत्तीसगढ़ समाचार पत्र की पत्रकार उत्तरा विदानी की बेटी है। उन्होंने वेडनर स्कूल से बायोलाजी में बारहवीं पास कर फोरेंसिक साइंस की पढ़ाई जयपुर स्थित विवेकानंद युनवर्सिटी से शुरू की है। अभी वह पांचवें सेमेस्टर की पढ़ाई कर रही है। मृणाल को विवेकानंद युुनिवर्सिंटी में फोरेंसिक साइंस विषय की एचओडी प्रोफेसर उमैमा अहमद, प्रोफेसर गुंजित सिंघल और प्रोफेसर पूजा रावत भरपूर साथ मिला। मृणाल के इस ब्रश को बनाने के लिए खट्टी स्कूल के शिक्षक भागवत जगत का भी सहयोग मिला। उन्होंने अपने स्कूल के बच्चों से कोसा लेकर मृणाल को भेजा।

मृणाल ने उस कोसे को तीन दिनों तक पानी में डुबाकर रखा। अपने हाथों से उसमें से रेशा निकाल धागे का रूप दिया। कालेज के गार्डन से पतली और खूबसूरत लकडिय़ां लेकर हाथों से ही कोसे के बारीक रेशेवाले ब्रश का निर्माण कर लिया। इसके बाद प्रोफेसरों के सहयोग से भारत सरकार को भेजा और दो महीने बाद भारत सरकार ने कल इसकी कापी राईट मृणाल को दे दी। मालूम हो कि कॉपीराइट संबंधी आधिकारिक वेबसाइट में कापीराइट की अवधि क्रिएटर के जीवन पर्यंत तक और मरने के 60 साल बाद तक होती है। इसे पहली बार जारी होने के कैलेंडर साल से माना जाता है। कॉपीराइट मालिक के तौर पर, उसके पास उस काम को इस्तेमाल करने का खास अधिकार होता है। ज़्यादातर मामलों में, किसी दूसरे व्यक्ति को इस काम का इस्तेमाल करने की मंज़ूरी देने का अधिकार सिर्फ़ कॉपीराइट के मालिक का होता है। कॉपीराइट एक कानूनी कांसेप्ट होता है।

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