रायपुर । छत्तीसगढ़ के सभी 11 लोकसभा सीटों के प्रत्याशी चुनाव मैदान में एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, दोनों पार्टियों के हाईकमान भी इन भाजपा, कांग्रेस के प्रत्याशियों के साथ है, दिल्ली से राष्ट्रीय नेता सभी लोकसभा क्षेत्र में जाने के लिए अपना रोस्टर बना चुके हैं, कोरबा लोकसभा सीट से भाजपा की दुर्ग जिले से महापौर, विधायक और सांसद रह चुकी सरोज पांडे मैदान में हैं तो वहीं उनकी प्रतिद्वंदी कांग्रेस की नेत्री विनम्र ज्योत्सना महंत उनके सामने है।वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में तो चरण दास महंत सक्ती विधानसभा से विधायक चुने गए थे और उन्हें विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया था।उसके बाद वर्ष 2019 में डॉ महंत की जगह उनकी धर्मपत्नी को टिकट दी गई थी, ज्योत्सना पहली बार ही चुनाव लड़ी और सांसद भी बन गई, उन्होंने भाजपा प्रत्याशी ज्योति नंद दुबे को हराया था.
ज्योत्सना महंत में खास बात यह है कि उनकी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा अच्छी है, सादगी एवं संगठन में अच्छी पैठ बानी हुईं है, वहीं भाजपा से सरोज पांडे भाजपा की स्वच्छ एवं तेजतर्रार नेत्री हैं, राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं कि चूंकि सरोज पांडे दुर्ग से जाकर कोरबा से चुनाव लड़ रही हैं, इसीलिए वहां के लोग इन्हें बाहरी प्रत्याशी मान रहे हैं, जबकि ज्योत्सना महंत को स्थानीय बताया जा रहा है, सरोज पांडे 2000 में पहली बार और ,2005 में दूसरी बार दुर्ग की महापौर बनी ज्योत्सना महंत ने वर्ष 2019 में मोदी लहर के बावजूद कोरबा से जीत दर्ज कराई इससे संगठन में इनका राजनीतिक कद और बढ़ गया.
सरोज पांडे 2008 में पहली बार वैशाली नगर से विधायक बनी 2009 के दुर्ग संसदीय सीट से सांसद बनी 2013 में वे भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बनी 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ताम्र ध्वज साहू से हारी इसके बाद राष्ट्रीय महासचिव भी रही सरोज पांडे राष्ट्रीय महासचिव के साथ 2018 में पहली बार निर्वाचित राज्यसभा सदस्य भी बनी देखना यह दिलचस्प होगा कौन कितने अंतर से जीत हासिल कर,कोरबा लोकसभा सीट से सांसद बनकर इस क्षेत्र का लोकसभा के सभी क्षेत्रों का विकास कर सकता है.
राजनांदगांव लोक सभा“ असली विजेता कौन भूपेश बघेल या संतोष पांडेय”
प्रमुख प्रत्याशियों की चर्चा करें तो राजनांदगांव लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल मैदान में है, महादेव अप सट्टा एवं कई गंभीर आरोपों का सामना कर रहे पूर्ववर्ती सरकार में मुख्यमंत्री रहे भूपेश बघेल को हाई कमान का निर्देश मिला या स्वेच्छा से वे लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं यह तो उनका दिल ही जानता है, लेकिन एक बात तो तय है मतदान में निष्पक्षता के लिए जाने,जाने वाली ईवीएम मशीन पर उंगली उठाते हुए बैलट पेपर से चुनाव कराने की उनकी बेतुकी दलील कहीं उनके भीतर के डर के रूप में तो सामने नहीं आ रही है ? राजनांदगांव से उनके प्रत्याशी होने से यह सीट हाई प्रोफाइल हो गई है, भाजपा के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न भी बनता जा रहा है,यहां से उनके प्रतिद्वंद्वी के रूप में संतोष पांडे सामने है क्योंकि संतोष पांडे ब्राह्मण वर्ग से हैं इसलिए कांग्रेस राजनांदगांव में जाति समीकरण तेज करने में लगी हुई है.
बघेल को पिछड़ा वर्ग का जबरदस्त फायदा मिल सकता है क्योंकि भूपेश बघेल पिछड़ा वर्ग का एक सशक्त एवं दमदार चेहरा है, भाजपा के संतोष पांडे के सामने निश्चित रूप से कड़ी चुनौती भी है, भूपेश बघेल 1993 में पहली बार पाटन से विधायक चुने गए थे। 1998 में दिग्विजय मंत्रीमंडल में राज्य मंत्री भी रहे, वर्ष 2008 में पाटन से वे विधानसभा चुनाव हार गए थे। 2009 में रायपुर से लोकसभा चुनाव भी हारे, वे 2013 से 2019 तक छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे। यह बात तो तय है 2018 से 2023 तक राज्य के सक्रिय मुख्यमंत्री रहने के कारण भूपेश बघेल का सभी जाति वर्ग एवं संगठन में मजबूत पकड़ है, प्रदेश के कुर्मी समुदाय के मान्य नेता भी हैं, पर इधर महादेव सट्टा एप, पीएससी भर्ती घोटाला आदि मामले के कारण उनकी साख पर आंच जरूर आई है, अब देखना यह होगा कि-” राजनांदगांव “लोकसभा सीट से परिणाम किसके पक्ष में आता है क्योंकि उनके भाजपा के प्रतिद्वंदी संतोष पांडे भी पिछला चुनाव रिकॉर्ड एक लाख से अधिक मतों से जीते थे।